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Saturday, October 20, 2012

एकटा रक्तवीज मरैत छैक हजारटा जन्म ल’ लेत छैक

माँ दुर्गे :माँ दुर्गा मिथिलाक अधिष्ठात्री देवीक पूजा मिथिलाक घर घर मे होयत छैक .मिथिला सभ दिन सं शक्तिक उपासक रहल अछि .जेहन वैदिक रीति सं मिथिला मे दुर्गा पूजा होयछ ओहन देस मे अन्यत्र कतौ नहि .दस दिन नियम पूर्वक ,वैदिक रीति सं पूजा अर्चना एहि ठाम देखय बाला होएत छैक .पहिल पूजा रेमन्त महराज सं प्रारम्भ होएत छैक .रेमन्त महराज अश्व वाहक रहथि। एहिना अन्य देवता सबहक पूजा होएत छनि .
दुर्गा शक्तिक प्रतीक छथि .
महिषासुर राक्षस क’ मारबाक लेल सभ देवता अपन अपन शक्ति दुर्गा क’ प्रदान करैत छथिन .महिषासुरक बद्ध दुर्गा माँ करैत छथि .एहि सं शिक्षा भेटैत अछि जे हमहू सभ कोनों कठिन काज करय में यदि हम सभ अपन अपन शक्ति एक ठाम क’ दियैक त’ ओ काज चुटकी बजा भ’ जायत .
मधु कैटभ दुनू भाई राक्षस छल .ओकर जन्म भगवान विष्णुक कानक मैल सं भेलैक आ दुनू बर बीर छल .भगवान नारायण एक हजार बरख ओहि दुनू सं लड़ैत रहलाह मुदा तैयो नहि जितलाह .अंत में मधु कैटभ हिनका पर प्रसन्न भेलनि आ कहलकनि ,यद्यपि तू हमर शत्रु छह तथापि तोहर युद्ध कौशल सं हम दुनू भाई प्रसन्न छी तै मांगय वरदान ,भगवान ओकर मृत्व कोना हेतैक ,वरदान में पुछलखिन आ ओ बता देलकनि आ जलक अंदर ओकर बद्ध केलनि .
निह्तार्थ ---मधु भेल राग आ कैटभ भेल द्वेष . राग द्वेष राक्षस रुपी कुबुद्धि छैक आ राग द्वेष क’ नाश करय लेल आतंरिक लड़ाई लड़य परैत छै आ जल रुपी प्रेम सं ओकरा मारल जायत छैक। जेकरा अंदर राग आ द्वेष छैक ओकरा अंदर मधु कैटभ रुपी दुष्टात्मा प्रवेश क’ गेल छैक। ओहि दुष्टात्मा क’ मारबाक लेल अंतरात्मा मे प्रेम ‘स्नेहक' अनबाक छैक . जे एहन नहि करैत अछि ओकरा शास्त्र पशु कहैत छैक .
रक्त वीज बद्ध :--शुम्भ निशुम्भ राक्षसक सेना मे रक्तवीज सभ सं पराक्रमी राक्षस छल . ओकरा वरदान छलैक जे ओकर एक बूंद रक्त अगर पृथिवी पर खसतैक त’ओहि सं एक हजार रक्तवीज जन्म लेतैक . चंड मुंड के मरलाक बाद रक्तवीज पुरा सेना ल’ माँ दुर्गा सं लड़बाक लेल आयल . माँ दुर्गा संग घोर युद्ध केलक। माँ जहिना रक्तवीज क’ मुरी कटथिन आ ओकर रक्त जहिना पृथिवी पर खसैक ओहिना हजारक हजार रक्तवीज उत्पन्न भ’ जाइक। माँ देखलनि ई ओना नहि मरत .एकर वीजे दूषित छैक। माँ चंडी –कालीक रूप धेलनि आ रक्तवीजक रक्त खप्पर मे पिबैत गेलीह . रक्त क’ जमीन पर खसहि नहि देलखिन एहि तरहे रक्तवीजक बद्ध भेलैक।
निःतार्थ ---रक्तवीज अंग्रेजीक जींस अर्थात डी एन ए सं सम्बंधित छैक। एतय संकेत भेटैत अछि जे पाप ,अधर्म जींस में प्रवेश क’ गेल छैक ओ कटने नहि कटैत छैक . ओ पापक पुनः जन्म भ’ जाइत छैक आ ओहि पाप क’ नास करबाक लेल समूल नष्ट करय परतैक। जींस में पाप रुपी सेल क’ नष्ट करक लेल कोनों वेक्सीनक जरुरत छैक . वैह वेक्सीन खप्परक काज करतैक।
एहि देस मे लाखक लाख रक्तवीज ठाढ़ छैक। एकटा रक्तवीज मरैत छैक हजारटा जन्म ल’ लेत छैक . एकरा सभ क’ वैह खप्परबाली माँ मारि सकैत छथि।
 
लेख : सत्यनारायण झा 
 

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