संस्कृत उच्च शिक्षा के आधुनिक शिक्षा प्रणाली स जोड़ईक योजनाबद्ध कवायद शुरू भए गेल अछि । अहिक लेल विभिन्न चरण में प्रयास के अंजाम पर पहुंचावईक काज शुरू कय देल गेल अछि। एकर खुलासा करैत कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विविक कुलपति डा. अरविन्द कुमार पांडेय एखन तक के एक सालक कार्यकाल में कैल गेल प्रयास के जतय जानकारी देलै नी ओतही आगामी योजना स सेहो अवगत करेला। विधान परिषद सदस्य प्रो. विनोद कुमार सिंहक संग शुक्रदिन मधुबनी पहुंचल डा. पांडेय स्थानीय परिसदन में पत्रकार स मुखातिब होइत उक्त बात कहला।
वीसी कहला कि बीतल एक साल में ओ विविक मान्यताप्राप्त कालेजक संसाधन के सुदृढ़ करईक दिशा में कदम उठोला हे। ओ तय समय-सीमा में 84 कालेजक निरीक्षण पूरा कयलेनी आ ओतय क जरूरत, समस्या स भलीभांति वाकिफ भय चुकल छैथ। वेकार भ चुकल कार्य संस्कृति क सुधारईक लेल प्रयास जारी अछि। हरेक प्रिंसिपल स महिना में कम स कम एक बेर दूरभाष पर वा प्रत्यक्ष बातचीत व तीन महिना में हुनक कार्यशाला सुनिश्चित करनाइ अहिक एक कड़ी अछि। प्रधानाचार्य के सख्त निर्देश देल गेला कि ओ बगैर कुलपति सचिवालय के अनुमति के अवकाश पर नही जैथ्ह।
यूजीसी स 40 करोड़क राशि अनुमोदित भेला जाहिमे 20 करोड़ रिलीज भ चुकल अछि। एकरा पुस्तकालय, भवन, शैक्षणिक गतिविधि आ इक्विपमेंट मद में खर्च कायल जायत। विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर युगक आधुनिकीकरण स सेहो जोड़ईक काज तेजी स चल रहल अछि। भारत सरकार द्वारा विभिन्न कालेज में इंटरनेटक कनेक्शन जोड़ल जएबाक अछि। प्रथम चरण में 40 कालेज अहिक तहत आयत। सब कालेजों में फैक्स, कम्प्यूटर आ प्रिंटर अनिवार्य कय देल गेला । एक सवालक जवाब में कुलपति नेकहला कि विविक पुस्तकालय अत्यन्त समृद्ध अछि आ एकरा डिजीटल बनावईक दिशा में सेहो काज कायल जायत। अहिक लेल यूजीसी के एक करोड़क प्रस्ताव भेजल गेला। राज्य सरकार 17 लाख रुपये अहिक लेल स्वीकृत केलक अछि। संस्कृत आ मिथिलाक्षर में लिपिबद्ध अत्यंत प्राचीन पांडुलिपिक अंग्रेजी आ अन्य भाषा में अनुदित करैक योजना अछि।
डा. पांडेय मिथिलाक अत्यन्त समृद्ध कला संस्कृति के सेहो सहेजई में अपन अभिरुचि देखावैत कहला कि ओ विवि मुख्यालयक दरबार हाल में बेहतरीन साउंड-लाइट सिस्टमक व्यवस्थाक प्रयास केला हे। संस्कृत शिक्षा आ मिथिलाक गौरवशाली संस्कृति देश ही नहीं विश्व पटल पर विविक माध्यम स प्रसारित हो एकर प्रयास में कोनो कसर नहीं छोड़ल जायत ।
वीसी कहला कि बीतल एक साल में ओ विविक मान्यताप्राप्त कालेजक संसाधन के सुदृढ़ करईक दिशा में कदम उठोला हे। ओ तय समय-सीमा में 84 कालेजक निरीक्षण पूरा कयलेनी आ ओतय क जरूरत, समस्या स भलीभांति वाकिफ भय चुकल छैथ। वेकार भ चुकल कार्य संस्कृति क सुधारईक लेल प्रयास जारी अछि। हरेक प्रिंसिपल स महिना में कम स कम एक बेर दूरभाष पर वा प्रत्यक्ष बातचीत व तीन महिना में हुनक कार्यशाला सुनिश्चित करनाइ अहिक एक कड़ी अछि। प्रधानाचार्य के सख्त निर्देश देल गेला कि ओ बगैर कुलपति सचिवालय के अनुमति के अवकाश पर नही जैथ्ह।
यूजीसी स 40 करोड़क राशि अनुमोदित भेला जाहिमे 20 करोड़ रिलीज भ चुकल अछि। एकरा पुस्तकालय, भवन, शैक्षणिक गतिविधि आ इक्विपमेंट मद में खर्च कायल जायत। विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर युगक आधुनिकीकरण स सेहो जोड़ईक काज तेजी स चल रहल अछि। भारत सरकार द्वारा विभिन्न कालेज में इंटरनेटक कनेक्शन जोड़ल जएबाक अछि। प्रथम चरण में 40 कालेज अहिक तहत आयत। सब कालेजों में फैक्स, कम्प्यूटर आ प्रिंटर अनिवार्य कय देल गेला । एक सवालक जवाब में कुलपति नेकहला कि विविक पुस्तकालय अत्यन्त समृद्ध अछि आ एकरा डिजीटल बनावईक दिशा में सेहो काज कायल जायत। अहिक लेल यूजीसी के एक करोड़क प्रस्ताव भेजल गेला। राज्य सरकार 17 लाख रुपये अहिक लेल स्वीकृत केलक अछि। संस्कृत आ मिथिलाक्षर में लिपिबद्ध अत्यंत प्राचीन पांडुलिपिक अंग्रेजी आ अन्य भाषा में अनुदित करैक योजना अछि।
डा. पांडेय मिथिलाक अत्यन्त समृद्ध कला संस्कृति के सेहो सहेजई में अपन अभिरुचि देखावैत कहला कि ओ विवि मुख्यालयक दरबार हाल में बेहतरीन साउंड-लाइट सिस्टमक व्यवस्थाक प्रयास केला हे। संस्कृत शिक्षा आ मिथिलाक गौरवशाली संस्कृति देश ही नहीं विश्व पटल पर विविक माध्यम स प्रसारित हो एकर प्रयास में कोनो कसर नहीं छोड़ल जायत ।
No comments:
Post a Comment