कोसी वासि के सपना आई पूरा हुअ जा रहल अछि। आज स विकास के द्वार खोल देल जायत । मिथिलांचल स सीमांचल के दूरी आब सिमट गेल। ईस्ट-वेस्ट कारीडोर आ कोसी नदी पर बनल अहि महासेतु स जतय मिथिला के एकीकरण भ जायत त पूरा मिथिला आब पूर्वोत्तर राज्य स जुड़ जायत। आ इ सड़क सामरिक दृष्टिकोण स काफी महत्वपूर्ण साबित होयत।
100 साल पहिले दौड़त छल रेल
अंग्रेजों के जमाना में कोसी के बीच रेलखंड विकसित छल। एकर अस्तित्व 1911 तक कायम छल। आई के सरायगढ़ स्टेशन भपटियाही जंक्शन के रूप में अस्तित्व में छल। भपटियाही स गाड़ी निर्मली आ सुपौल के ओर चलैत छल। भपटियाही आ निर्मली के बीच रहरिया एक मात्र स्टेशन छल। 1934 में आयल भूकंप आ बाढ़ संपूर्ण रेलखंड के अपन चपेट में ल लेलक। कोसी के मुख्य धारा उम्हरे स बहैत छल। आ कोसी मिथिलांचल के भैगोलिक दृष्टिकोण स दू फांक में बांटी देलक।
कोसी के बीचोबीच गुजरैत छल लेटेरल रोड
दरभंगा-फारबिसगंज लेटेरल रोड सेहो एतय स गुजरैत छल। जे ओही समय राजमार्ग के नाम स जानल जैत छल। ललित बाबू जहैनी रेलमंत्री बनला त ओ अहि परियोजना के स्वीकृति दियेलैनी। लेकिन हुनक असामयिक निधन स इ कोसी वासि के लेल सपना भ गेल। लगभग 70 वर्ष के बाद 6 जून 2003 क तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा अहि महत्वाकांक्षी परियोजना के नींव राखल गेल। कोसी के लीला के कारण शुरुआती दिन में काफी कठिनाई के सामना करे पड़ल। मिथिलांचल के लेल इ सपना प्रतीत होयत छल।
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