जुट भ जायत। इ दिन मिथिलांचल के भूभाग के इतिहास के स्वर्णिम दिन कहलायत। आ अहि कोसी महासेतु के नामकरण पूर्व रेल मंत्री स्व.ललित नारायण मिश्र के नाम पर हेबाक चाही एकर समर्थन करैत राज्य के वरिष्ठ पत्रकार सह समाजसेवी सीताशरण झा अहि सेतु निर्माण स संबंधित अपन संस्मरण के आधार पर स्व.ललित बाबू के योगदान के उजागर केलैनी। ओ कहला कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के द्वारा कोसी महासेतु के शिलान्यास कायल गेल छल आ तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार आ वर्तमान मुख्यमंत्री अहि सेतु के निर्माण में योगदान देलैन। अहि में कोनो संदेह नहीं कि स्व.ललित बाबू देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व.जवाहरलाल नेहरू के ध्यान कोसी नदी के विभिषिका आ स्थानीय लोग के दुख दर्द के ओर ध्यान आकृष्ट करेने छला। जाही स कोसी नदी स उत्पन्न समस्या के निदान राष्ट्रीय योजना के हिस्सा स भेटल। सीताशरण झा अहि महासेतु निर्माण के एक आँखी देखल घटना के जिक्र करैत कहला की 1970 स 1972 के बीच झंझारपुर-लौकहा आ भपटियाही-मुरलीगंज रेल खंड के उद्घाटन भेल छल। ओही दिन श्री झा राज्य के प्रमुख दैनिक इंडियन नेशन के विशेष प्रतिनिधि के रूप में स्व.ललित बाबू के संग छलखिन। स्टेशन परिसर में ललित बाबू पत्रकार स वार्ता के दौरान कहने छला निर्मली भपटियाही के बीच के दूरी 10 मील स बेसी नहीं अछि जकरा कोसी विभक्त के देने अछि। आ ओही समय ओ नार्थ ईस्ट रेल डिवीजन के तत्कालीन जोनल मैनेजर पी.आर.चोपड़ा के तलब केला आ पुछला की चोपड़ा साहब आप से मैंने कहा था कोसी नदी पर पुल निर्माण कराने के लिए सर्वे कर अनुमानित लागत का ब्यौरा प्रस्तुत करें। जनरल मैनेजर कहला - सर सर्वे करा लिया है। अनुमानित खर्च करीब 16 करोड़ पड़ेगा। जाही पर ललित बाबू कहला कि कोई बात नहीं 16 करोड़ नहीं, 1600 करोड़ लागत तैयो इ पूल बनत। गो अहेड। पर नियति के शायद इ मंजूर नहीं छल। जाहिर अछि कि स्व.ललित बाबू के दिलोदिमाग में सतत कोसी क्षेत्र के निवासि के दुख दर्द बसैत छल। ओ पूरा मिथिलांचल के समस्या पर गहन चिंतन करैत छला। आखिर हुनक सपना साकार भेल। श्री झा कहला अगर अहि कोसी महासेतु के नामकरण स्व.ललित नारायण मिश्र के नाम पर होई त इ हुनक प्रति सच्चा श्रद्धांजलि होयत।
साभार :- दैनिक जागरण
No comments:
Post a Comment