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Monday, July 21, 2008

मधुश्रावणी पावणी मॆ मिथिला कॆ कला ई संस्क्रति झलकैत अछि



मिथिला कॆ प्रसिद्ध पावणी मधुश्रावणी परसु स शुरु भ रहल अछि! पंचमी स मधुश्रावणी धरि 15 दिन तक चलै वला ई पावणी बङ प्रसिद्ध अछि! ई पावणी मिथिलाचंल कॆ नवविवाहिता मनाबै छाईथ! मुदा हुनका संगॆ हुनकर समस्त घर आ समस्त गांव एकरा मनाबै छाईथ! एकटा अलगॆ उल्लास रहै छैन महिला सबहक बीच!
सुहाग कॆ सलामति आ लम्बा आयु कॆ लॆल मनाबै जाई वला ई पावणी मॆ नाग आ नागिन कॆ पुजा गीत हॊईत छैन! सुबह मॆ दॆवता कॆ पुजा हॊईत छैन, दॊपहर क खिस्सा आ सांझ क फुल लॊढई लॆल जाई छाईथ! पुजा बसिया फुल स करै कॆ प्रचलन छै अहि पावणी मॆ ताहि कारण नवविवाहिता अपन संगी सहॆली कॆ संग फुल लॊढई लॆल जाई छियाथ! समुचा फुल तॊङि क एला कॆ बात कॊनॊ मंदिर पर बैस फुल कॆ डाला मॆ बङ नीक ढंग स सजावै छियाईथ! कॆला कॆ पात पर हॊई वला इ पावणी मॆ मईट कॆ सात टा नाग आ नागिन कॆ मुर्ति बनायल जाईत अछि! मैथिली गीत आ नाद संग हॊई वला ई पावणी मॆ मिथिला कॆ कला ई संस्क्रति झलकैत अछि! पुजा वला घर मॆ दॆवाल पर प्राक्रितिक रंग‌ स‌ मिथिला पॆटिंग बनायल जाति अछि! जाहि दिन शुरु आ खत्म हॊईत अछि ऒई दिन अईहव(विवाहिता औरत) सॆहॊ खुआयल जाईत अछि! अगर कहि त अहि 15 दिन मिथिला कॆ महिला सब खुब इनजाँय करै छियाईथ!

1 comment:

Gajendra said...

शुभकामना, सोनूजी।