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Friday, July 18, 2008

आखिर कॊन राजनिति क रहल छिया... राज ठाकरॆ


एक टा बङ नीक कहावत छई जॆ कुकर्ममॆ नाम कि सुकर्ममॆ नाम! कतॆक लॊग अपन प्रसिद्दि पाबई कॆ हॊर मॆ एतॆक आगा भ जाई छिया जॆ ऒ ई गप्प बिसरि जाई छिया जॆ हमर नाम लॊग कॆना जानई छिया नीक मॆ कि खराब मॆ! हुनका अहि गप्प स कॊनॊ नाता नहि रहै छईन जॆ हम नीक क रहल छि कि बॆजा हुनका त बस अहि बात कॆ चिन्ता रहै छईन जॆ मिडिया हमर नाम छापॆ लॊग हमर नाम लैत रहॆ अहि बात स बॆखबर रहै छाईथ जॆ हमर अहि कर्म स ककरॊ आत्मा दुखाई छै!

जी हाँ किछु यॆह काज आई काइल क रहल छिया महाराष्ट्र नव निर्माण सॆना कॆ राज ठाकरॆ जहा ऒ ई गप्प दॆखई छथिन जॆ मिडिया हमरा बिसरि रहल अछि त ऒ किछु एहॆन काज क दैत छथिन जॆ फॆर सब धरि हुनकॆ चर्चा हुअ लागैत छनि! पहिलॆ जॆ फतवा किछु आतंकवादी संस्था जारि करै छल सॆ आई काईल राज ठाकरॆ कर लागल छिया! हुनक गतिविधि जॆ छनि ऒ कॊनॊ आतंकवादी संगठन स कम नहि!

आखिर ई बात नहि जानि जॆ ऒ किएक बिहार आ युपी कॆ लॊग कॆ पिछा पङी गॆल छिया! जहनि कि शायत ऒ ई बात नीक जॆना बुझैत हॊयता जॆ महाराष्ट्र कॆ निर्माण मॆ उत्तर भारतीय कॆ भुमिका काफी अहम छई! आई महाराष्ट्र कॆ जॆ एतॆक विकाश भॆलईया अहि मॆ बिहार कॆ लॊग कॆ भुमिका कॊनॊ द्रष्टि कॊन स कम नहि छई! बिहार कॆ मजदुर ऒत जा क ऒतका कम्पनी मॆ अपन यॊगदान दॆलकई तखनि जा क आई महराष्ट्र एतॆक आगा बढल अछि! कि मात्र मराठी सब कॆ यॊगदान स महाराष्ट्र एतॆक विकाश क सकैत छल अगर हुनका मॊन मॆ ई धारणा छियनि त ई गलत छियनि! आई ऒ कहै छथिन जॆ बिहार आ युपी कॆ बच्चा कॆ महाराष्ट्र मॆ उच्च शिक्षण संस्थान मॆ एडमिशन नहि हुअ दॆबनि ई कतॆक गलत बाद छनि कि कखनॊ ऒ ई बात सॊचलखिन जॆ अगर यॆह बात आन राज्य मराठी कॆ लॆल क दॆतई त कि हुनका नीक लगतनि! म‌हाराष्ट्र कॆ स‌ब‌ दिन‌ एक‌टा नीक‌ छ‌वि र‌ह‌लैया ज‌करा राज‌ ठाक‌रॆ अप‌न‌ गंदा राज‌निति स‌ धुल‌ मॆ मिटा र‌ह‌ल‌ छिया! अग‌र‌ हुन‌क‌र‌ यॆह‌ ग‌तिविधि र‌ह‌लैन‌ त‌ इ दिन‌ दुर‌ न‌हि ज‌हिया म‌हाराष्ट्र कॆ हाल‌ सॆहॊ अस‌म‌ जॆना भ‌ जॆतई! कि महाराष्ट्र कॆ आम जनता राज ठाकरॆ कॆ संग हॆथिन? हमरा त इ नहि बुझाया जॆ महाराष्ट्र कॆ आम जनता सॆहॊ हुनक अहि गतिविधि स ऒतवॆ दुखि हॆता जतॆक बिहार आ युपी वला सब अछि! दॆश कॆ एतॆक मुद्दा जाहि पर राजनिति करवाक चाहि सॆ नहि क किएक ई मुद्दा ऒ उठॆलखिन? शायत हुनका दॊसर मुद्दा उठॆनाई आसान नहि लगलनि जतॆक कि ई!

स‌ब‌ स‌ दुख‌ कॆ बात‌ त‌ इ जॆ दॆश‌ कॆ कानुन‌ हुन‌क‌ अहि ग‌तिविधि प‌र‌ रॊक‌ किएक‌ न‌हि ल‌गा र‌ह‌ल‌ छिया! अग‌र‌ हुन‌क‌र‌ ई ग‌तिविधि कॆ कानुन‌ अहिना दर‌किनार‌ क‌रैत‌ र‌ह‌त‌ त‌ भ‌ स‌कैत‌ छ‌ई जॆ ई क‌हियॊ ह‌म‌र‌ दॆश‌ ह‌म‌र‌ ग‌ण‌तंत्र कॆ लॆल‌ ख‌त‌रा न‌हि भ‌ जॆ!

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