
कोर्ट के मुताबिक ई कमेटी हर समय 'एम्स' के निर्माण में आवि रहल दिक्कतों के बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आ केन्द्र सरकार के बतायत । कमेटी इ सेहो देखत कि निर्माण कार्य में लगायल जा रहल सामग्री स्तरीय अछि वा नहीं? एकर जिम्मा भूमि अधिग्रहण, पथ निर्माण आ बुनियादी सुविधाओं के निगरानी के काम होयत।
कोर्ट कहलक कि 'एम्स' के राष्ट्रीय स्तर के बनायल जेबाक चाहि। अहि के लेल पहुंच रोड बेहतर आ चौड़ा हेबाक चाहि। आवागमन के बेहतर सुविधा हेबाक चाहि। फ्लाईओवर के निर्माण हेबाक चाहि। 2 अक्टूबर स 'एम्स' कार्यरत भ जेबाक चाहि। कोर्ट ने साफ कय देलक अछि कि जहिया तक पटना एम्स के लेल अलग स कानून नहीं बनी जैत अछि , ता धरी दिल्ली एम्स के तरह कामकाज होयत । अहि मामला के अगला सुनवाई 25 अप्रैल क होयत ।
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