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Friday, November 23, 2012

सामा- चकेवा मिथिलाक आत्माक राग छी


मिथिला क्षेत्रक गांम अहि दिन सामा-चकेवाक गीत स गुंजायमान होयत। शाम होईते महिला सिर पर सामाक डाला लेने डाला ल बहार भेली बहिनों से..फल्लां भैया लेल डाला छीन. गीत सामूहिक रूप स गावैत जहैन निकलैती हेती त फिजा में मिसरी घुल जायत होयत।
सामा- चकेवा मिथिलाक आत्माक राग छी। पश्चिमी चकाचौंधक बीच इ पावनी अहि ठामक सांस में जिंदा अछि। जकर प्रमाण अछि आव शहर में सेहो सामा चकेवा खेलईक धूम रहैत अछि। भाई बहिनक प्रेमक प्रतीक सामा-चकेवाक ई पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमीक शुरू भ क कार्तिक पूर्णिमा क समाप्त होईत अछि। अहि लोग पर्वक दौरान बहिन मिट्टी स बनल सामा-चकेवा(सांब आ चक्रवाक क प्रतीक), एक पंक्ति में सात पक्षी(सात ऋषिक प्रतीक), खररूचि भाई आ बाटी बहिनी(दो पक्षी क एक दोसरक विपरीत मूंह जे भाग्यचक्र स विमुख भाई बहिनक  प्रतीक अछि), खड़ स बनल वृंदावन, भम्हरा, चुगला आदिक मूर्ति बना क सांझ पडिते घर स निकल क अन्य महिला संग सामा खेलईत भाईक जीवन मंगल आ चुगली क भाई बहिनक बीच झगड़ा लगावई वाला चुगलाक जीवन अवसादग्रसत होईक कामना करैत छियाथ । अहि दौरान बहिन भाईक दीर्घायुक लेल जीब -जीब मोर भैया जीब, सुंदर कायाक लेल जैसन धोबिया के पाट वैसन भैया के पीठ, भाई के धनवान होई के लेल गीत गावैत एक दोसराक हाथ सामा दैत छियाथ। खड़ स बनल वृंदावन में आग लगा क भाई के द्वारा रक्षा करईक कामना कायल जाईत अछि। ओतय चुगलाक जूट से बनल बाल के जला क चुगली करई वालाक लेल अपमान भरल आ दारिद्रभरल जीवनक कामना करैत छियाथ।
कार्तिक पूर्णिमाक सामा सहित अन्य प्रतिमा के सजा क कुलदेवी के समक्ष राखल जाईत अछि। एकरा बाद भाई अपन ठेहुना पर सामा के फोडैत छियाथ। अहि रस्मक बाद सामाक विदाई समदाओन गीत गावैत घर स बाहर कोनो जोतल खेत में जाक विसर्जित कय देल जाईत अछि।
अहि विषय में कथा अछि कि भगवान श्री कृष्णक पुत्री सामा आ पुत्र सांब छला। सामाक पतिक नाम चक्रवाक छल। सामा प्रतिदिन अपन बाग वृंदावन में घुमई लेल जाईत छलि। एक दिन श्री कृष्ण स सामाक नौकर डिहुली सामाक विषय में चुगली क की सामा वृंदावन में घुमईक समय ऋषि के संग रमण करैत छियाथ। जाही पर कृष्ण सामा क चिड़िया भ जाई के श्राप दय देलखिन। विरह में पति चक्रवाक स्वेच्छा स पक्षी बनि सामा क संग विचरण करय लगलैथ। श्रापक कारण ऋषि सेहो पक्षी बन गेला। इम्हर जखन सांब घर आयला त हुनका पिताक द्वारा श्राप देवक जानकारी भेलैनी। जाही पर ओ बहन सामा, बहनोई चक्रवाक आ ऋषि के पक्षी जीवन स पुन: पूर्व रूप में प्राप्त करई क लेल घोर तपस्या पर बैस गेला। आ श्रीकृष्ण प्रसन्न भ हुनका सब के श्राप मुक्त कय देलखिन। तहिये स अपन स्वजनक अल्पायु होई के आशंका स निवारणक लेल अही पर्वक शुरुआत भेल। 

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