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Friday, November 16, 2012

मिठाही में डायन प्रथाक खिलाफ एतिहासिक फैसला

अंधविश्वास आ कुप्रथा ग्रामीण समाज में बेसी देखल जाईत अछि। मुदा शहर-महानगर सेहो अहिस मुक्त नहीं अछि। विडंबना ई अछि कि एकरा दूर करई क लेल व्यावहारिक पहल कम होईत अछि। मगर अहि मामला में बिहारक मधेपुरा जिलाक मिठाही पंचायतक फैसला अनुकरणीय उदाहरण अछि। अहि ठामक मुखिया मधुमाला देवी डायन प्रथाक खिलाफ एतिहासिक एलान केलैथि अगर कोनो महिला पर डायन होई क आरोप लगायल गेल त आरोप लगाबई वाला पर इक्कीस सौ रुपया जुर्माना लगायल जायत। ग्रामीण समाज में डायन या एहेन अनेको अंधविश्वासक प्रति लोग में जेहेन धारणा अछि, ओही सब के देखैंत अहि फैसलाक विरोध संभव छल। लेकिन सुखद आश्चर्य ई कि पंचायतक बैठक में सब कियो अहि पहल स सहमत छला। इ अहि बातक सबूत छल कि अनेक अंधविश्वासक बीच जियै वाला समुदाय में सेहो अगर ईमानदारी स सकारात्मक पहल कायल जाय त आगा बढ़ायल जा सकैत अछि। अहिस पहिले सेहो मिठाही क मुखिया अपन कार्यक्षेत्र में शराब, जुआ आ अश्लील गीत बजावै पर सेहो रोक लगेलैथ हुनक अहि निर्णय क सेहो समूचा गांम समर्थन केलक। अहि लिहाज स देखल जाई त समाज में अहि तरहक बुराई अछि जकर शिकार या भुक्तभोगी सीधा तौर पर महिला होइत छैथ। एक महिला होई क नाते मधुमाला देवी अहि सब समस्या क ज्यादा संवेदनशील तरीका स देखली। लेकिन की ई जरूरी नहीं अछि कि एक स्वस्थ समाजक लेल समाज के सब जिम्मेदार तबका के अहि दिशा में अपना ओर स पहल करवाक चाहि।
बिहार में डायन प्रथा उन्मूलन कानून काफी पहले स लागू अछि। लेकिन अहि पर अमल के अंदाजा अहि स लगायल जा सकैत अछि कि साल भर पहिले राज्य मानवाधिकार आयोग विभिन्न जिला में डायन प्रथाक कारण प्रताड़ना के पौने दो सौ स बेसी मामला लंबित होईक संदर्भ में राज्यक पुलिस महानिदेशक के नोटिस जारी कायल गेल छल । डायनक मिथ्या धारणा के लेल जतेक अंधविश्वास जिम्मेदार अछि, ओही स बेसी ई सामाजिक दुराग्रह स संचालित होइत अछि। एहेन उदाहरण मुश्किल स भेटत, जाहिमे कोनो पुरुष के एहेन आरोपक सामना करय पड़ल होयत । अहिक अलावा, डायन करार आमतौर पर समाजक दलित-पिछड़ल या पतिक मौत वा कोनो और कारण स जे महिला असगरे रहैत छैथ हुनके देल जैत छैनि । करीब चार महीना पहिले राष्ट्रीय महिला आयोग कहने छल कि देशक अलग-अलग राज्य में पचास स साठ जिला एहेन अछि जतय डायन कही क महिला के अपमानित-प्रताड़ित कय, हुनका निर्वस्त्र क गांम में घुमावई या हत्या के देल जायत अछि। एकरा दूर करैक लेल निश्चित रूप स कानूनक अपन महत्त्व अछि। मुदा अहि पर प्रभावी रोकथाम केवल सामाजिक निषेध स लागायल जा सकैत अछि।

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