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Monday, September 24, 2012

आर्यभटक त्रिकोणक खुजत रहस्य

नालंदा आ विक्रमशिलाक बाद आब जल्द तरेगना, खगौल आ तरेगना टॉप ज्ञान-विज्ञानक नव अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनत. आर्यभटक त्रिकोणक नाम स मशहूर अहि तीन केंद्रक पर खगोल वैज्ञानिक आ पुरातत्वशास्त्रि अन्वेषण शुरू कय देला हे.
तीन केंद्र में तरेगना आ खगौल त पहिले स सुर्खियों में रहल अछि, पर तरेगना टॉप के बारे में लोग क बहुत कम जानकारी छैन. ई बिहटा स 12 किमी दक्षिण लई गांवक निकट सोन किनारक इलाका अछि, जे एक स डेढ़ किलोमीटर में फैलल अछि. फिलहाल अहि ठाम चारु कात जंगल -झाड़ आ पानी भरल छई.
बिहार सरकारक आमंत्रण पर बिहार आयल खगोल वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय, काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थानक निदेशक विजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक संजीव कुमार सिन्हा, शोध अन्वेषक मानव रंजन मनमंस आ विज्ञान आ प्रौद्योगिकी विभागक निदेशक अमिताभ घोष रविदिन अहि इलाकाक दौरा केलैनी. अमिताभ पांडेय कहला कि हम पानी कम होइते तरेगना टॉप जायब.
ओ लई गांवक लोग सब स तरेगना टॉपक जानकारी लेलैनी. लोग कहला कि तरेगना टॉप में पहिले कचहरी लागैत छल. एकटा मंदिर सेहो छल. ओतय सूर्य आ पार्वतीक मूर्ति छल, जाकर लोग गांव में स्थापित केला.
सूर्यक मूर्ति 11 वीं शताब्दीक लागैत अछि . तरेगना में जे मृदभांड भेटल अछि , ओ बेहद खास अछि. ओ बेस पातर आ चमकदार कारी रंगक अछि. एहेन मृदभांड साधारण लोगक पास नहीं होइत छल. ई समृद्ध लोगक लग रहैत छल. अहि स प्राथमिक तौर पर ओतय घनी आबादी आ गुरुकुलक संभावना प्रबल देखाइत अछि.
बतादी कि 22 जुलाई, 2009 क तरेगना अचानक अंतरराष्ट्रीय पटल पर चर्चाक विषय बन गेल छल. ओही समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार घोषणा केने छला कि आर्यभट्टक त्रिकोण के सरकार विकसित करत.

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