मिथिला पेण्टिंग नाम भने आधुनिक अछि, मुदा ई परम्परा अदौसँ चलि आबि रहल अछि। सभसँ पहिने कहिया आरम्भ भेल से कहब कठिने नञि असम्भव सन अछि। जहियासँ मिथिला अछि तहिएसँ मैथिलानी एहि चित्रकलाकेँ परम्पराक रूपमे अपनासँ अगिला पीढ़ीकेँ हस्तान्तरित करैत रहली आ नव पीढ़ी एकरा अपनबैत रहल। मानल जाइत अछि जे विदेहराज जनके केर समयसँ अछि। कहल जाइत अछि जे मिथिला पुत्री भगवती सीता आ भगवान श्रीरामक विवाहक अवसरपर विदेहराज जनक नगरकेँ सजेबाक आदेश देने छला। ओहि समय जे लोक अपन घर-दुआरिकेँ सजेलक आ एहि क्रममे चत्रिकारी केलक सैह मिथिला पेण्टिंग थिक। माटिक घर-आङनमे स्थान पाबऽ वला ई मिथिला चित्र आधुनिक कालमे कागत, कपड़ापर स्थान पेलक, मुदा ओ तहिएसँ मिथिलाक हृदय-मन्दिरमे प्रतिष्ठित रहल अछि जहियासँ आरम्भ भेल।
आइ ई कला भूमि आ भित्तिसँ आगू बढ़ि कऽ कागज, कैनवस, कपड़ा, मटिक बासन आ सजावटि अन्य वस्तुकेँ सेहो अपन उपस्थितिसँ सुन्दर बनाबऽ लागल अछि। एहि चित्रकालाक अपन विशिष्टता रहल अछि। परम्परागत रूपसँ मिथिला चित्र विवाहक अवसरपर कोबरमे, उपनयनक अवसरपर मड़बा आ विशेष अवसरपर मुख्यद्वार आ गोसाउनिक घरमे बनाओल जाइत रहल। बादमे जेना-जेना एकरा अपन सुवास पसारबाक अवसर भेटल ई अन्य अवसरपर सेहो अपन उपस्थितिसँ सभकेँ आकर्षित कऽ रहल अछि। पहिने एकर विषय समेटल छल। देवी-देवता एकर आ प्रकृति एकर मुख्य विषय होइ छला। आइयो एहने सन अछि, मुदा आधुनिक कालमे एकर विषय-वस्तु बदलबाक प्रासस सेहो आरम्भ भऽ गेल अछि।
आइ ई कला भूमि आ भित्तिसँ आगू बढ़ि कऽ कागज, कैनवस, कपड़ा, मटिक बासन आ सजावटि अन्य वस्तुकेँ सेहो अपन उपस्थितिसँ सुन्दर बनाबऽ लागल अछि। एहि चित्रकालाक अपन विशिष्टता रहल अछि। परम्परागत रूपसँ मिथिला चित्र विवाहक अवसरपर कोबरमे, उपनयनक अवसरपर मड़बा आ विशेष अवसरपर मुख्यद्वार आ गोसाउनिक घरमे बनाओल जाइत रहल। बादमे जेना-जेना एकरा अपन सुवास पसारबाक अवसर भेटल ई अन्य अवसरपर सेहो अपन उपस्थितिसँ सभकेँ आकर्षित कऽ रहल अछि। पहिने एकर विषय समेटल छल। देवी-देवता एकर आ प्रकृति एकर मुख्य विषय होइ छला। आइयो एहने सन अछि, मुदा आधुनिक कालमे एकर विषय-वस्तु बदलबाक प्रासस सेहो आरम्भ भऽ गेल अछि।
मिथिलासँ बाहरक यात्रा
बात 1934 केर अछि जखन बिहारमे भीषण भूकम्प आएल छल। मिथिला अंचलक खण्डहरमे छिरियाएल चित्र खण्ड दिस तत्कालीन भारतीय प्रशासनिक सेवाक डब्लू.जी. आर्चरक ध्यान आकर्षित भेल। एहिसँ संबंधित एकटा लेख 1949मे अंतरराष्ट्रिय कला पत्रिकामे प्रकाशित भेल।
प्रबुद्ध कलाकार जगत एहि दिस आकृष्ट भेला, मुदा राष्ट्रिय आ अन्तरराष्ट्रिय स्तरपर मिथिला चित्रकलाक प्रतिष्ठा तखन भेल जखन 1966-68मे अकाल पीड़ित नगरवासीक आजीविकाक रूपमे एहि कलाकेँ सरकारी आ गैरसरकारी संस्थानक संरक्षण आ मार्गदर्शन भेटल। लगभग 1970 मे अमेरिकी मानवशस्त्री रेमण्ड आ जर्मनीक इरेका मोसर एहि चित्रकला सौन्दर्यकेँ परखलनि। कलाक विस्तार भेल आ आइ ई जापानमे चमकि रहल अछि। एकर परिष्कृत, परिमार्जित आ वैविध्यपूर्ण रूप सोझाँ आयल। एतबे निञ उपेक्षित वर्गक कला बेसी प्रचलित भेल। विषयान्तर सेहो भेल आ दैवीय आकारक स्थान दैनादिन जीवन लऽ लेलक। विकास पुरुषक नामे ख्यात ललित नारायण मिश्रक अवदान सेहो एहि चित्रकलाकेँ राष्ट्रिय स्तरपर ख्यात करबामे रहलनि।कलाकार जमुना देवीक एकटा चित्रमे एकटा दलितकेँ मरल गायकेँ कात लगबैत देखाओल गेल छल, ओ बहुत सम्मानित भेल छल। एहि जाति विशेषक कलाकेँ राष्ट्रिय मान्यता तखन भेटल जखन 1970 मे जितवारपुरक जगदम्बा देवीकेँ हुनक चित्रकलाक लेल राष्ट्रपति द्वारा 1970 मे सम्मानित कयल गेलनि।
मिथिलाक ओ वर्ग जे सामान्य समाजसँ कात छल सेहो आइ एहिसँ जुड़ल आ सम्मानित जीवन बिता रहल अछि। मिथिला पेण्टिंग लेल बुआ देवी, सीता देवी, शान्ति देवी आ महासुन्दरी इत्यादिकेँ राष्ट्रिय आ अन्तरराष्ट्रिय प्रतिष्ठा प्राप्त भेलनि। जितवारपुरक लोककलाक लेल महासुन्दरी देवीकेँ पद्मश्रीसँ सम्मानित कयल गेलनि। आइ बहुत रास कलाकार छथि जे देश-विदेशमे अपन कलाक प्रदर्शन कऽ रहल छथि आ एहिसँ हुनका आर्थिक लाभ सेहो भऽ रहलनि अछि।
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