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Saturday, February 2, 2013

डा. सरिता बुद्धू मिथिला पर लिखती किताब

नमस्कार.. नमस्कारक अभिवादनक संग बरबस हुनका मुख स निकल पड़ल वाह! अद्भुत अछि ई कला। गाछ पर मिथिला पेंटिंग्स देखने नहीं छलऊ। आई ई देख क काफी आनंदक अनुभव क रहल  छी। उक्त बात मारीशसक पूर्व उपप्रधानमंत्री डा. हरीश बुद्धूक पत्नी डा. सरिता बुद्धू बीतल वृहस्पति दिन रांटी पहुंच मिथिला पेंटिंग के अवलोकनक दौरान अपन भावना के व्यक्त करैत कहलैथ। वृहस्पति दिन 12.25 बजे ओ जिला मुख्यालय स करीब 3 किलोमीटरक दूरी पर रांटी गाम में स्थित ग्रामीण विकास परिसर कार्यालय गेल छली। डा. सरिता बुद्धू मिथिला कलाक अनेक पेंटिंग्स के स्थानीय कलाकार सब स जानकारी सेहो लेली। ओ तकरीबन आधा घंटा तक पेपर, कपड़ा आ देवाल पर बनायल गेल पेंटिंग्स के मुआयना काफी रुचि के संग करैत मिथिला पेंटिंग में रंग मछली, मखानाक चित्रक बारे में गहन जानकारी लेली। अहि दौरान पत्रकार स बातचीत करैत ओ कहली कि मीठी बोली, कला, महाकवि विद्यापति, कालीदास, मंडन मिश्र के अलावा प्रेम-स्नेहक प्राचीन संस्कृतिक लेल विश्व प्रसिद्ध मिथिलांचलक मैथिली भाषा, कला, संस्कृति आ मारीशसक कला संस्कृतिक समानता पर एकटा पुस्तक लिखई क हुनक योजना अछि। अहिक लेल मिथिला पेंटिंग़क काफी कलेक्शन केलाईथ। वर्ष 1983 के एतय के अपन यात्रा क याद करैत कहली कि मारीशस में पेपर, कपड़ाक अलावा समुद्री मछली, सीप आदि पर मिथिला कला काफी पसंद कायल जा रहल अछि। एतय के कलाकार द्वारा मारीशस में मिथिला पेंटिंगक जानकारी देल जा रहल अछि। ओ कहली कि 25 वर्ष स भोजपुरी क्षेत्रक दौरा कय रहल छि। ओतय के संस्कृति, भाषा के ल क एक पुस्तक लिखने छी। आब मिथिलांचल, मिथिला पेंटिंग, मैथिली भाषा कय लय क पुस्तक लिखई के योजना में छी

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