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Tuesday, February 5, 2013

सितम्बर २०१४ में नालंदा विवि में अध्यन शुरू होयत

रविदिन सांझ पटना पहुचालक बाद नोबेल अर्थशास्त्री प्रो अमर्त्य सेन सोमदिन भोर स सांझ तक व्यस्त रहला. भोरक 10.00 बजे स सांझ 6.15 बजे तक ओ नालंदा विवि क गवर्निग बोर्डक बैठक में छला, फेर पत्रकारक बैठकक बारे में जानकारी दैत ओ सांझ 7.30 बजे सुनीता लाल आ शैबाल गुप्ता द्वारा संपादित पुस्तक रिसरेक्शन ऑफ द स्टेट : बिहार सागाक विमोचन करैक लेल आद्री पहुंचला. आई भोर ओ नालंदा विवि परिसरक जायजा लेबक योजना आयोगक उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया आ बोर्ड सदस्यक साथ राजगीर गेला.
पटना: नालंदा विश्वविद्यालय में 2014 के सितंबर महिना स इतिहास अध्ययन आ पर्यावरण आ पारिस्थिकी (इकोलॉजी) अध्ययनक स्कूल शुरू भ जायत. शिक्षकक नियुक्तिक लेल अंतरराष्ट्रीय एडवाइजरी कमिटीक गठन कय देल गेला. फैकल्टी नियुक्तिक लेल जल्दिये विज्ञापन निकालल जायत. नियुक्तिक लेल तीन चरण में सामूहिक आ व्यक्तिगत रूप स साक्षात्कार होयत. विवि क भवन डिजाइन क लेल देश-विदेशक आठ कंपनी अपन रुचि देखेलक अछि, मई तक अहिमें स कोनो एकटाक चयन कय लेल जायत आ अक्तूबर में निर्माणक काम शुरू भ जायत. सोमदिन गवर्निग बोर्डक बैठकक बाद नालंदा विवि क कुलाधिपति प्रो अमर्त्य सेन अहिक जानकारी देलैनी.
बैठक में सांसद एनके सिंहक अध्यक्षता में इंडोवमेंट कमेटीक गठन कायल गेल. इ कमेटी विश्व स्तर पर गैर सरकारी संस्थान स नालंदा विवि क लेल फंड जुटावईक काम करत. अहिके अलावा, इंटरनेशनल एडवाइजरी कमेटीक सेहो गठन कायल गेल, जकर अध्यक्ष सिंगापुरक पूर्व मंत्री जॉर्ज यो के बनायल गेलैनी . अहिमें इंडोनेशियाक पूर्व विदेश मंत्री डॉ हसन के सेहो शामिल कायल गेला. बैठक में कहल गेल कि जापान सरकार भवन आ आसपासक क्षेत्र में आधारभूत संरचना विकास में मदद करत. प्रो सेन कहला कि केंद्रक सुस्तीक चलते विवि निर्माण कार्य शुरू होई में किछ देरी भेला, लेकिन तय समय पर विवि में पढ़ाईक कार्य शुरू कय देल जायत. गौरतलब अछि कि विवि भवन निर्माणक लेल जापान आ सिंगापुर पहिल चरण में 10 करोड़ डॉलरक फंड उपलब्ध करोलक अछि. ई दुनु देश बाद में 50-50 करोड़ डॉलरक दू किस्त और देत. अहि तरह कुल मिला क अहि देश स निर्माणक लेल 110 करोड़ डॉलर भेटत. अखन 443 एकड़ के प्रस्तावित परिसरक चहारदीवारीक काम भेला.
सांसद एनके सिंह कहला कि अनुमानित खर्चक राशिक लेल प्रस्ताव जल्दिये दिल्ली में वित्त मंत्रलय के पास भेजल जायत. विवि क कुलपति प्रो गोपा सबरवाल कहला कि नालंदा विश्वविद्यालय में बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलासफी एंड कंपरेटिव रेलीजन स्कूल, लैंगुएज एंड लिटरेचर स्टडीज स्कूल, इंटरनेशनल रिलेशंस एंड पीस स्टडीज स्कूल, बिजनेस मैनेजमेंट (पब्लिक पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज) स्कूल आ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी स्कूल शुरू कायल जायत. एशिया क सांस्कृतिक आ आर्थिक योगदान पर रिसर्च विवि क मुख्य फोकस होयत.

बैठक में लेल गेल अहम फैसला


शिक्षकक नियुक्तिक लेल बनल एडवाइजरी कमेटी,
सितंबर 2014 से हिस्टोरीकल स्टडीज आ इन्वायरमेंटल इकोलॉजीक पढ़ाई होयत
अंतरराष्ट्रीय संस्थान स धन एकत्र कायल जायत,
अंतरराष्ट्रीय स्तरक बनत भवनराजगीर में आई भेल. संयुक्त मीटिंग
विवि क मॉनीटरिंग कमेटीक अध्यक्ष आ योजना आयोगक उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया कहला कि विवि भवन निर्माण आ पढ़ाईक लेल हम विदेशी फंड पर निर्भर नहीं रहब. अगर विदेश स सहायता भेटत अछि, त ई नीक बात अछि. कमेटीक बैठक में विवि निर्माण स जुड़ल कार्यक अद्यतन स्थितिक जायजा लेल जायत. अहिके बाद आगा के निर्णय लेल जायत.

मंच पर जीबि उठल 'पातक मनुक्ख

कलकता,(रिपोर्ट : भाष्कर झा) मैथिलीक उत्कृष्ट नाट्य संस्था कोकिल मंच केर 23म वार्षिकोत्सवक अवसर पर मंच द्वारा महानगर स्थित महाजाति सदनमे 3 फ़रवरी 2013 कें सायं 4:30 बजे समस्यामूलक नाटक 'पातक मनुक्ख' केर सफ़ल मंचन भेल. पं. गोबिन्द झा द्वारा लिखल कथाकें नाट्यरूप देने छथि प्रसिद्ध नाट्यकार अरविन्द अक्कू. समाजक ज्वलंत समस्या पर केन्द्रित एहि नाटक केर उद्दॆश्य सामाजिक सुधारोन्मुखी तथा जन चेतना कें जगाबय बला अछि. 'पातक मनुक्ख' एक तरहें मिथिला समाजमे व्याप्त धन-लोलुप दबंग आ साधारण मनुक्खक विषम परिस्थितिसं अनुचित लाभ उठाबय बला तथाकथित समाजक दलाल केर कुप्रवृति पर साहित्यिक, सामाजिक प्रहार आ कटाक्ष अछि. हमर समाजमे एहि कुप्रवृतिसं ग्रसित लोक एखनो धरि समाजगत ढांचा कें विध्वंश करय पर लागल अछि. मानवीय व सामाजिक मूल्यक हनन, संवेदनशून्य लोक कें सजीव चित्रण कयल गेल अछि एहि नाटकमे.

मंचित नाटककें केन्द्र बिन्दुमे एक एहन अबलाक मार्मिक कहानी अछि जिनक पति ग्रामीण दबंगक चालि चलनसं प्रताड़ित भभागि जाइछ. हुनक दियाद भाय एवं तथाकथित शुभचिन्तक गामक दबंग लोक कें संगे गरीबीक मारल अबला लालगंज बाली काकी केर जीवित पति बतहू कें 'पातक मनुक्ख' बनाक' श्राद्ध-कर्मक नाम पर सब जमीन अपना नाम करबाक कुचक्र रचैत अछि. मुदा हरेक समाज मे नीक लोक होयत अछि. नीक लोकक प्रतिनिधिक रूप मे समाज सेवक प्रकाश आ समाज सेविका बहिन दाइ किछु सहॄदय ग्रामीणक सहयोगसं ओहि अबला कें पतित लोकसं रक्षा करैत अछि. भरल समाजक सोझामे गामक जमीन्दार फ़ूदन ठाकुर श्राधक कार्यक्रम करबाक लेल बतहू कें 'पातक मनुक्ख' बनेबाक आदेश देइत अछि त' दोसर दिस जमीन अपन नाम करबाक लेल संतोषी मिसिर कें स्टाम्प पेपर थमा देइत अछि लाल काकी केर अंगूठाक निशानी लेल. जोर जबरदस्ती सं लालगंज काकीक अंगूठाक नेशान लयबाक कुचेष्टा होइत अछि. मुदा समय पर प्रकाश, बहिन दाइ आ किछु नीक ग्रामीणक सहयोग सं एहि कुचाइलक भंडाफ़ॊड़ भजाइत अछि.

अभिनयक दृष्टिसं गंभीरतापूर्वक विश्लेषण कयला पर लालगंज बाली काकीक भूमिका मे किरण झाक अभिनय जीबंत छल. किरणजी जाहि तरहे जीवनक मार्मिकतासं अपन भूमिकाक निर्वहन कयलनि ओ बड्ड प्रशंसित भेल. प्रारंभ सं अन्त धरि हुनक आंखिमे नोरक प्रवाह दर्शकक आंखिमे देखल जा सकैत छल. हुनक संवाद अदायगी अभिनीत चरित्र कें जीवंत बनेने छल.

तथाकथित धनाढय व्यक्ति केर लगुआ-भगुआ संतोषी मिसिरक भूमिका मे संजय ठाकुर केर अभिनय सराहनीय छल. बाजय केर ढंग, मंच पर हुनक चलबाक ढंग, आंखिक संचालन वाच्य-अंतरण आदि संतोषी मिसिरक चरित्र कें सजीब बना देने छल. करगर आवाज आ मोंछ पर ताव देबय बला अंदाज एहन जे दर्शक कें मोनमे हुनका प्रति घृणा उत्पन्न कय देने अछि, एहन बुझना गेल.

समाज सेवक आ सुधारक प्रकाश केर भूमिका रंजीत कुमार झा पूर्णतया उपयुक्त लागल. रंजीत जी अपन भूमिका सं नीक जकां निमाहलनि. हुनक अभिनयक अहम पक्ष छल हुनक संवाद. एक-एक संवाद मे किछु ने किछु सकारात्मक संदेश छल. एहि नाटकमे अपन अभिनयक द्वारा नाटकक मुख्य संदेश दर्शकक माध्यमें समाज धरि पहुचाबयमे सफ़ल भेलाह. कोलकाता स्थित रंगमंच पर नवतुरिया रंगकर्मी सबमे रंजीतजी एकटा उत्साही, सफ़ल, प्रभावी रंगकर्मीक रूपमे उभरि क' अयलाह अछि. हुनक सहकर्मी आ समाजसेविकाक भूमिका मे गीता चौधरी सेहो बड्ड नीक अभिनय कयलनि अछि. मुदा किछु बेसी बयस होमय केर कारण हुनक अभिनयमे एकटा सशक्त समाज सेविकाक किरदार परिलक्षित होमयमे किछु खटकल.

रंगकर्मी सुधाचन्द्र झा गामक धनलोलुप व्यक्ति फ़ूदन ठाकुरक भूमिकामे छलाह. नाटकक खल पात्रक भूमिका संग इमानदारी बरतलाह. हुनक अभिनय प्रशंसनीय छल. पंडित जीक भूमिकामें आनन्द किशोर ठाकुर छलथि जे चलय व बैसय केर क्रममे दू तीन बेर मंच पर खसि पड़लाह आ एहि तरहे बीच-बीचमे दर्शक कें खूब हसबैत रहलाह. ग्रामीणक भूमिकामे राजीव मिश्र, प्रकाश मिश्र, देबेन्द्र झा आदि केर नीक काज रहल. ऑफ़ स्टेज सहयोगमे शीतल झाक अहम योगदान छलनि. कुल मिला क' नाटकक सब पात्रक अभिनय दर्शक कें भरि नाटक बान्हिकए राखयमे सफ़ल भेल.

अनुभवी नाट्य निर्देशक गंगा झाक संचालन आ निर्देशनक बड्ड विशिष्ट छल. मानसिक द्वंद्व कें प्रदर्शित करबाक लेल किछु नीक प्रयोग केने छलथि. परिणामस्वरूप नाटक बेसी स बेसी प्रभावी बनैत चलि गेल. मंच पर किछु एहनो प्रयोग छल जकरा देखला सं सिनेमामे प्रयुक्त तकनीकक इयाद दियौलक. गंगा बाबूक सफ़ल निर्देशनमे संपन्न आ मंचित भेल ई सफ़ल नाटक अपन उद्देश्य में सेहो सफ़ल भेल, एहन बुझना जा सकैछ.

नाट्य मंचन सं पूर्व आयोजित उदघाटन कार्यक्रममे मंचस्थ पाहुन व शिक्षाविद भोगेन्द्र झा आ कोकिल मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्र केर नीक उदगार सुनबाक भेटल. अतिथि लोकनिक द्वारा विद्यापति पर माल्यार्पणक पश्चात मंचक सचिव नबोनारायण मिश्र समस्त मैथिल दर्शककें अभिनंदन करैत कहलाह जे मंच जे कहैत अछि से एकर कार्यमे परिलक्षित होइत अछि. पूर्वमे मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्रक ओहि आश्वासन पर फ़ेर चर्चा करैत कहलाह जे आश्वासन केर अनुसार 25 वर्ष केर उपलक्ष्यमे एक सप्ताह्व्यापी नाट्यप्रस्तुति होयत. आ ओ ऒहि दिनक प्रतीक्षा कय रहल छथि.

एहि कार्यक्रमक मुख्य अतिथि आ प्रख्यात मैथिल शिक्षाविद आ समाजसेवी भो
गेन्द्र झा अपना आप कें समस्त मैथिल-मैथिली गतिविधिसं जोड़ैत कहलनि जे ओ कोकिल मंचक सदस्य छथि. मंचक पूर्व गतिविधि पर प्रकाश रखैत कहलाह जे 23 वर्ष एकटा पैघ समय होइछ. कोकिल मंच कें अपन उद्देशय मे आगू बढबा पर धन्यवाद देइत कहलाह जे मंचक 25 वर्ख भेला पर एकटा महोत्सवक आयोजन होयत. संगहि मनक क्षोभ व्यक्त करैत कहलनि जे सांस्कृतिक राजधानी कोलकातामे बहुत रास संस्था अछि. मुदा ई सब संस्था टूकड़ा-टुकड़ा मे बटल अछि जेकि मिथिलाक लेल शुभ नहि. आपसी मतभेदक अखाड़ा बनि रहल अछि ई सब संस्था. मिथिला समाज मे टंगखिचुआअपसंस्कृति केर भर्त्सना करैत कहलाह जे मिथिलामे आपसी एकता पर जोर देबाक आवश्यकता अछि. हरेक क्षेत्रमे कार्यरत मैथिल सब कें हाइलाइट' करबाक आवश्यकता अछि. अन्तमे संस्था सबसं अनुरोध करैत कहलाह जे हम सब अद्भुत कार्य करी जाय सं मिथिलाक नाम होअय. समाज आ जीवनक दर्पणक रूप मे जानल जायबला विधा नाटक कें प्रोत्साहन भेटबाक चाही.

मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्र नाटकक पैटर्न परिवर्तन केर समर्थन करैत बजलाह जे वर्तमान समय मे नाटक पुरना-धुरना तकनीकक सहयोग सं भ' रहल अछि. आब आन रंगमंच जेना मैथिली रंगमंच कें आधुनिकीकरण होबाक चाही. संगहि आश्वासन देलनि जे भविष्यमे अत्याधुनिक तकनीक केर उपलब्धतामे यथासंभव सहयोग प्रदान करताह. मंच संचालन नाट्य निर्देशक गंगा झा कएलनि.
उद्घाटन समारोहक बाद टाटानगर सं आयल मैथिलीक चर्चित गायिका अंजू कात्यायन द्वारा किछु मैथिलीक गीत प्रस्तुत कयल गेल. अंजू जीक गीत पर दर्शक झुमैत रहल. हाथक थपड़ी अंजू जीक उत्साह बर्धन करैत रहल. महानगरमे एकटा आर मैथिली कार्यक्रमक आयोजनक बादो नाटकक आनन्द उठाबय लेल उपस्थित दर्शकक अप्रत्यासित उपस्थिती देखबा योग्य छल. अतेक पैघ प्रेक्षागृह केर निचला सीट के' कहय, उपरका तल्ला पर सेहो दर्शकक उमड़ैत भीड़ अपन स्थान धेने छल जे ई साबित कय रहल अछि कि नाटकक लोकप्रियता मे कमी नहि, वृद्धि भ' रहल अछि.
मंचित नाटककें केन्द्र बिन्दुमे एक एहन अबलाक मार्मिक कहानी अछि जिनक पति ग्रामीण दबंगक चालि चलनसं प्रताड़ित भभागि जाइछ. हुनक दियाद भाय एवं तथाकथित शुभचिन्तक गामक दबंग लोक कें संगे गरीबीक मारल अबला लालगंज बाली काकी केर जीवित पति बतहू कें 'पातक मनुक्ख' बनाक' श्राद्ध-कर्मक नाम पर सब जमीन अपना नाम करबाक कुचक्र रचैत अछि. मुदा हरेक समाज मे नीक लोक होयत अछि. नीक लोकक प्रतिनिधिक रूप मे समाज सेवक प्रकाश आ समाज सेविका बहिन दाइ किछु सहॄदय ग्रामीणक सहयोगसं ओहि अबला कें पतित लोकसं रक्षा करैत अछि. भरल समाजक सोझामे गामक जमीन्दार फ़ूदन ठाकुर श्राधक कार्यक्रम करबाक लेल बतहू कें 'पातक मनुक्ख' बनेबाक आदेश देइत अछि त' दोसर दिस जमीन अपन नाम करबाक लेल संतोषी मिसिर कें स्टाम्प पेपर थमा देइत अछि लाल काकी केर अंगूठाक निशानी लेल. जोर जबरदस्ती सं लालगंज काकीक अंगूठाक नेशान लयबाक कुचेष्टा होइत अछि. मुदा समय पर प्रकाश, बहिन दाइ आ किछु नीक ग्रामीणक सहयोग सं एहि कुचाइलक भंडाफ़ॊड़ भजाइत अछि.
अभिनयक दृष्टिसं गंभीरतापूर्वक विश्लेषण कयला पर लालगंज बाली काकीक भूमिका मे किरण झाक अभिनय जीबंत छल. किरणजी जाहि तरहे जीवनक मार्मिकतासं अपन भूमिकाक निर्वहन कयलनि ओ बड्ड प्रशंसित भेल. प्रारंभ सं अन्त धरि हुनक आंखिमे नोरक प्रवाह दर्शकक आंखिमे देखल जा सकैत छल. हुनक संवाद अदायगी अभिनीत चरित्र कें जीवंत बनेने छल.
तथाकथित धनाढय व्यक्ति केर लगुआ-भगुआ संतोषी मिसिरक भूमिका मे संजय ठाकुर केर अभिनय सराहनीय छल. बाजय केर ढंग, मंच पर हुनक चलबाक ढंग, आंखिक संचालन वाच्य-अंतरण आदि संतोषी मिसिरक चरित्र कें सजीब बना देने छल. करगर आवाज आ मोंछ पर ताव देबय बला अंदाज एहन जे दर्शक कें मोनमे हुनका प्रति घृणा उत्पन्न कय देने अछि, एहन बुझना गेल.
समाज सेवक आ सुधारक प्रकाश केर भूमिका रंजीत कुमार झा पूर्णतया उपयुक्त लागल. रंजीत जी अपन भूमिका सं नीक जकां निमाहलनि. हुनक अभिनयक अहम पक्ष छल हुनक संवाद. एक-एक संवाद मे किछु ने किछु सकारात्मक संदेश छल. एहि नाटकमे अपन अभिनयक द्वारा नाटकक मुख्य संदेश दर्शकक माध्यमें समाज धरि पहुचाबयमे सफ़ल भेलाह. कोलकाता स्थित रंगमंच पर नवतुरिया रंगकर्मी सबमे रंजीतजी एकटा उत्साही, सफ़ल, प्रभावी रंगकर्मीक रूपमे उभरि क' अयलाह अछि. हुनक सहकर्मी आ समाजसेविकाक भूमिका मे गीता चौधरी सेहो बड्ड नीक अभिनय कयलनि अछि. मुदा किछु बेसी बयस होमय केर कारण हुनक अभिनयमे एकटा सशक्त समाज सेविकाक किरदार परिलक्षित होमयमे किछु खटकल.
रंगकर्मी सुधाचन्द्र झा गामक धनलोलुप व्यक्ति फ़ूदन ठाकुरक भूमिकामे छलाह. नाटकक खल पात्रक भूमिका संग इमानदारी बरतलाह. हुनक अभिनय प्रशंसनीय छल. पंडित जीक भूमिकामें आनन्द किशोर ठाकुर छलथि जे चलय व बैसय केर क्रममे दू तीन बेर मंच पर खसि पड़लाह आ एहि तरहे बीच-बीचमे दर्शक कें खूब हसबैत रहलाह. ग्रामीणक भूमिकामे राजीव मिश्र, प्रकाश मिश्र, देबेन्द्र झा आदि केर नीक काज रहल. ऑफ़ स्टेज सहयोगमे शीतल झाक अहम योगदान छलनि. कुल मिला क' नाटकक सब पात्रक अभिनय दर्शक कें भरि नाटक बान्हिकए राखयमे सफ़ल भेल.
अनुभवी नाट्य निर्देशक गंगा झाक संचालन आ निर्देशनक बड्ड विशिष्ट छल. मानसिक द्वंद्व कें प्रदर्शित करबाक लेल किछु नीक प्रयोग केने छलथि. परिणामस्वरूप नाटक बेसी स बेसी प्रभावी बनैत चलि गेल. मंच पर किछु एहनो प्रयोग छल जकरा देखला सं सिनेमामे प्रयुक्त तकनीकक इयाद दियौलक. गंगा बाबूक सफ़ल निर्देशनमे संपन्न आ मंचित भेल ई सफ़ल नाटक अपन उद्देश्य में सेहो सफ़ल भेल, एहन बुझना जा सकैछ.
नाट्य मंचन सं पूर्व आयोजित उदघाटन कार्यक्रममे मंचस्थ पाहुन व शिक्षाविद भोगेन्द्र झा आ कोकिल मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्र केर नीक उदगार सुनबाक भेटल. अतिथि लोकनिक द्वारा विद्यापति पर माल्यार्पणक पश्चात मंचक सचिव नबोनारायण मिश्र समस्त मैथिल दर्शककें अभिनंदन करैत कहलाह जे मंच जे कहैत अछि से एकर कार्यमे परिलक्षित होइत अछि. पूर्वमे मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्रक ओहि आश्वासन पर फ़ेर चर्चा करैत कहलाह जे आश्वासन केर अनुसार 25 वर्ष केर उपलक्ष्यमे एक सप्ताह्व्यापी नाट्यप्रस्तुति होयत. आ ओ ऒहि दिनक प्रतीक्षा कय रहल छथि.
एहि कार्यक्रमक मुख्य अतिथि आ प्रख्यात मैथिल शिक्षाविद आ समाजसेवी भोगेन्द्र झा अपना आप कें समस्त मैथिल-मैथिली गतिविधिसं जोड़ैत कहलनि जे ओ कोकिल मंचक सदस्य छथि. मंचक पूर्व गतिविधि पर प्रकाश रखैत कहलाह जे 23 वर्ष एकटा पैघ समय होइछ. कोकिल मंच कें अपन उद्देशय मे आगू बढबा पर धन्यवाद देइत कहलाह जे मंचक 25 वर्ख भेला पर एकटा महोत्सवक आयोजन होयत. संगहि मनक क्षोभ व्यक्त करैत कहलनि जे सांस्कृतिक राजधानी कोलकातामे बहुत रास संस्था अछि. मुदा ई सब संस्था टूकड़ा-टुकड़ा मे बटल अछि जेकि मिथिलाक लेल शुभ नहि. आपसी मतभेदक अखाड़ा बनि रहल अछि ई सब संस्था. मिथिला समाज मे टंगखिचुआअपसंस्कृति केर भर्त्सना करैत कहलाह जे मिथिलामे आपसी एकता पर जोर देबाक आवश्यकता अछि. हरेक क्षेत्रमे कार्यरत मैथिल सब कें हाइलाइट' करबाक आवश्यकता अछि. अन्तमे संस्था सबसं अनुरोध करैत कहलाह जे हम सब अद्भुत कार्य करी जाय सं मिथिलाक नाम होअय. समाज आ जीवनक दर्पणक रूप मे जानल जायबला विधा नाटक कें प्रोत्साहन भेटबाक चाही.
मंचक अध्यक्ष जीबेन्द्र मिश्र नाटकक पैटर्न परिवर्तन केर समर्थन करैत बजलाह जे वर्तमान समय मे नाटक पुरना-धुरना तकनीकक सहयोग सं भ' रहल अछि. आब आन रंगमंच जेना मैथिली रंगमंच कें आधुनिकीकरण होबाक चाही. संगहि आश्वासन देलनि जे भविष्यमे अत्याधुनिक तकनीक केर उपलब्धतामे यथासंभव सहयोग प्रदान करताह. मंच संचालन नाट्य निर्देशक गंगा झा कएलनि.
उद्घाटन समारोहक बाद टाटानगर सं आयल मैथिलीक चर्चित गायिका अंजू कात्यायन द्वारा किछु मैथिलीक गीत प्रस्तुत कयल गेल. अंजू जीक गीत पर दर्शक झुमैत रहल. हाथक थपड़ी अंजू जीक उत्साह बर्धन करैत रहल. महानगरमे एकटा आर मैथिली कार्यक्रमक आयोजनक बादो नाटकक आनन्द उठाबय लेल उपस्थित दर्शकक अप्रत्यासित उपस्थिती देखबा योग्य छल. अतेक पैघ प्रेक्षागृह केर निचला सीट के' कहय, उपरका तल्ला पर सेहो दर्शकक उमड़ैत भीड़ अपन स्थान धेने छल जे ई साबित कय रहल अछि कि नाटकक लोकप्रियता मे कमी नहि, वृद्धि भ' रहल अछि.

साभार : मिथिमीडिया

Saturday, February 2, 2013

डा. सरिता बुद्धू मिथिला पर लिखती किताब

नमस्कार.. नमस्कारक अभिवादनक संग बरबस हुनका मुख स निकल पड़ल वाह! अद्भुत अछि ई कला। गाछ पर मिथिला पेंटिंग्स देखने नहीं छलऊ। आई ई देख क काफी आनंदक अनुभव क रहल  छी। उक्त बात मारीशसक पूर्व उपप्रधानमंत्री डा. हरीश बुद्धूक पत्नी डा. सरिता बुद्धू बीतल वृहस्पति दिन रांटी पहुंच मिथिला पेंटिंग के अवलोकनक दौरान अपन भावना के व्यक्त करैत कहलैथ। वृहस्पति दिन 12.25 बजे ओ जिला मुख्यालय स करीब 3 किलोमीटरक दूरी पर रांटी गाम में स्थित ग्रामीण विकास परिसर कार्यालय गेल छली। डा. सरिता बुद्धू मिथिला कलाक अनेक पेंटिंग्स के स्थानीय कलाकार सब स जानकारी सेहो लेली। ओ तकरीबन आधा घंटा तक पेपर, कपड़ा आ देवाल पर बनायल गेल पेंटिंग्स के मुआयना काफी रुचि के संग करैत मिथिला पेंटिंग में रंग मछली, मखानाक चित्रक बारे में गहन जानकारी लेली। अहि दौरान पत्रकार स बातचीत करैत ओ कहली कि मीठी बोली, कला, महाकवि विद्यापति, कालीदास, मंडन मिश्र के अलावा प्रेम-स्नेहक प्राचीन संस्कृतिक लेल विश्व प्रसिद्ध मिथिलांचलक मैथिली भाषा, कला, संस्कृति आ मारीशसक कला संस्कृतिक समानता पर एकटा पुस्तक लिखई क हुनक योजना अछि। अहिक लेल मिथिला पेंटिंग़क काफी कलेक्शन केलाईथ। वर्ष 1983 के एतय के अपन यात्रा क याद करैत कहली कि मारीशस में पेपर, कपड़ाक अलावा समुद्री मछली, सीप आदि पर मिथिला कला काफी पसंद कायल जा रहल अछि। एतय के कलाकार द्वारा मारीशस में मिथिला पेंटिंगक जानकारी देल जा रहल अछि। ओ कहली कि 25 वर्ष स भोजपुरी क्षेत्रक दौरा कय रहल छि। ओतय के संस्कृति, भाषा के ल क एक पुस्तक लिखने छी। आब मिथिलांचल, मिथिला पेंटिंग, मैथिली भाषा कय लय क पुस्तक लिखई के योजना में छी