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Saturday, October 29, 2011

पलायन लेल फेर एक बेर तैयार बिहारक मजदूर

एक बेर फेर सब मजदुर इंतजार में अछी जे कहिया छठ ख़त्म होयत । फाटल पुराण थैला व झोरा में कपड़अ -लत्ते ठूंस आ बटखर्चा के लेल चूड़ा-मूढ़ी, ठकुआ-भुसवा ले पारन के बिहाने , दोसर या तेसर दिन उपलब्ध सवारियों स ओ जयनगर अथवा दरभंगा के लेल रवाना भ जेता । ओही ठाम स ओ एक्सप्रेस अथवा सुपरफास्ट ट्रेनों स दिल्ली, चंडीगढ़, गुड़गांव, बंगलोर तथा मुंबई आदि जगह के लेल प्रस्थान क जायत । ओही में किछ अपन सीट आरक्षित करबा रखने छैथ जहानी की अधिकतर साधारण टिकटों से जेना तेना अपन गंतब्य स्थान पर जेता । छठ की तैयारी के ल क हिनकर माता आ पत्नी सब उत्साहित छैएथ त एक बेर फेर बिछरे के गम हिनका सब के आखी में सेहो छैन। ओ हिनका सब के महानगरों की शानो शौकत के सच्चे-झूठे किस्से सुनाक मन बहला रहल छथिन आ अगले फगुआ में आने के वादा कर रहल छथिन । किन्तु हुनक परिजन के बुझल छैन कि हाड़तोड़ मेहनत क क मामूली रकम कमाइ वाला के तंग कोठरियों में निर्माणाधीन छत के नीचे या फुटपाथों पर खुले आसमान के नीचे राति गुजारअ परैत छैन।मुदा करल की जायत कोनो दोसर उपायों त नै छै जे गाँवे में रहैत। नरेगा भले मंरेगा में बदली गेल हुआ मुदा एकर चाल ठाल में कोनो परिबर्तन नै भेला। ताहि स इ सब बढ़िया स बाखिव छैथ। भले नितीश के शाशन काल में बिहार बहुत बदलल होयत मुदा अखन धरी मजदुर के पलायन कोना रोकल जाई ताहि पर कोनो ठोस कदम नै उठावल गेला । सरकार अहि गप्प स नीक जाका बाखिफ अछी जे बिहारी मजदुर दोसर जगह कतेक परेशानी उठाबैत अछी आ ताहि के बादो इ सब ओही ठाम सुरक्षित नै रहैत अछी।


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