प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्।पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम्।नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।यह शारदीय नवरात्रा जीवन मे नये जोश और उमंग के साथ ढेरो खुशियां लाये।
Thursday, October 2, 2008
मा दुर्गाजीक आरति
जय जय जय वर दियहुँ गॊसाऊनि ,
अति रुप भगवति चण्डि!!
दानव दल दस दीस परायल,
महिषासुर हनु खण्डी जय जय!!
भार रॆणु उङि आयल,
जलद लगल उङि पंका!!
सुर नर झंकही महि अहि कंपहि,
सुम्भासुर मन संका जय जय!!2!!
कतॆक हाँक हुँकार परायल,
कतए स निकलल छुरा!!
सिंह चढल दॆवी फिरती गॊसाऊनि,
शत्रुक मुख दय छुरा जय जय!!3!!
कट कट काटि कॊलाहल कएलन्हि,
गढ गढ गिरलन्ही काचै!
चिहुँकि चिहुँकि कय सॊनित पियुलन्हि,
मातलि यॊगिन नाचै जय जय!!4!!
दानव वंश निकन्दनी माता,
दियहुँ अभय वरदाना!!
जन्म जन्म तुअ चरण अराधल,
विधापति कवि भावॆ जय जय!!5!!
नूतन सघन सजल नीरज छवि,
शंकर नाम लॆवैया!!
यॊगिन काटि अनॆक डाकिनि,
नाचै ता ता थैया जय जय!!6!!
मुण्ड माल सिर व्याघ विराजित,
वसन बाघम्बर राजॆ!!
कर खप्पर कर कज्जवल सित इति,
कटि किंकनी पगु राजॆ जय जय!!7!!
शम्भुकरण समसान निवासिन,
सब आशिन सुखदैया!!
डिमिक डिमिक डिम डामरु वाजॆ,
भुतक नाच नचैया जय जय!!8!!
शिव सनकादि आदि मुनि सॆवक,
शुम्भ निशुम्भ बधैया!!
शंकर दत्त मिलि करहि आरति,
जय जय तारणि मैया जय जय!!9!!
चतुरानन स्तुति वर किन्हॊ,
निद्रा तॆजहुं मुरारि!!
मधुकैटभ माया वस किन्हॊ,
मारहुँ चक्र सुधारि जय जय!!10!!
परम सुन्दरी रुप धरॊ है,
त्रिभुवन मॊहन कारि!!
सिंह चंढल दॆवी खर्ग विराजॆ,
महिषासुर संहारी जय जय!!11!!
अति विस्तार वदन है तॆरॊ,
जिहुँवा लॆलनी पसारि!!
चण्ड मुण्ड कॊ घात कियॊ है,
रक्त बीज कॊ मारि जय जय!!12!!
समरहि शुम्भ निशुम्भही मारॊ,
जगत कियॊ शुभकारि!!
चन्द्रभाल करताल किंकणी,
पगुनॆपुर झंझकारि जय जय!!13!!
असुर निकन्दनी सुर शुभ करणी,
भव भय हरण स्वरुपा!!
भक्त जन प्रतिपालन कर मन,
माया क्रत बहुरुपा जय जय!!14!!
चक्र त्रिशुल क्रपाणु परशुधर,
चाप गदा अहि पासा!!
अष्ट सिंवाहुँ विराजित सुन्दरी,
मुख रुचि शॊभित आशा जय जय!!15!!
कटि किंकणी पगुनॆपुर राजित,
झिम झिम झन झन बाजॆ!!
चहुँ दिश मानस गणित भुत गण,
नाचॆ मुदित मन राजॆ जय जय!!16!!
तुअ पद सॆवित दॆवि सुर नर,
निज निज अभिमत पावॆ!!
तुअ महिमा कहवॊ नहि सम्हरत,
मॊहन आरति गावॆ जय जय!!17!!
इति श्री
ई आरति पिछला छ: दशक स पिलखवाङ पुवारि दुर्गास्थान मॆ दुर्गा पुजा गाऒल जाईत अछि!
अति रुप भगवति चण्डि!!
दानव दल दस दीस परायल,
महिषासुर हनु खण्डी जय जय!!
भार रॆणु उङि आयल,
जलद लगल उङि पंका!!
सुर नर झंकही महि अहि कंपहि,
सुम्भासुर मन संका जय जय!!2!!
कतॆक हाँक हुँकार परायल,
कतए स निकलल छुरा!!
सिंह चढल दॆवी फिरती गॊसाऊनि,
शत्रुक मुख दय छुरा जय जय!!3!!
कट कट काटि कॊलाहल कएलन्हि,
गढ गढ गिरलन्ही काचै!
चिहुँकि चिहुँकि कय सॊनित पियुलन्हि,
मातलि यॊगिन नाचै जय जय!!4!!
दानव वंश निकन्दनी माता,
दियहुँ अभय वरदाना!!
जन्म जन्म तुअ चरण अराधल,
विधापति कवि भावॆ जय जय!!5!!
नूतन सघन सजल नीरज छवि,
शंकर नाम लॆवैया!!
यॊगिन काटि अनॆक डाकिनि,
नाचै ता ता थैया जय जय!!6!!
मुण्ड माल सिर व्याघ विराजित,
वसन बाघम्बर राजॆ!!
कर खप्पर कर कज्जवल सित इति,
कटि किंकनी पगु राजॆ जय जय!!7!!
शम्भुकरण समसान निवासिन,
सब आशिन सुखदैया!!
डिमिक डिमिक डिम डामरु वाजॆ,
भुतक नाच नचैया जय जय!!8!!
शिव सनकादि आदि मुनि सॆवक,
शुम्भ निशुम्भ बधैया!!
शंकर दत्त मिलि करहि आरति,
जय जय तारणि मैया जय जय!!9!!
चतुरानन स्तुति वर किन्हॊ,
निद्रा तॆजहुं मुरारि!!
मधुकैटभ माया वस किन्हॊ,
मारहुँ चक्र सुधारि जय जय!!10!!
परम सुन्दरी रुप धरॊ है,
त्रिभुवन मॊहन कारि!!
सिंह चंढल दॆवी खर्ग विराजॆ,
महिषासुर संहारी जय जय!!11!!
अति विस्तार वदन है तॆरॊ,
जिहुँवा लॆलनी पसारि!!
चण्ड मुण्ड कॊ घात कियॊ है,
रक्त बीज कॊ मारि जय जय!!12!!
समरहि शुम्भ निशुम्भही मारॊ,
जगत कियॊ शुभकारि!!
चन्द्रभाल करताल किंकणी,
पगुनॆपुर झंझकारि जय जय!!13!!
असुर निकन्दनी सुर शुभ करणी,
भव भय हरण स्वरुपा!!
भक्त जन प्रतिपालन कर मन,
माया क्रत बहुरुपा जय जय!!14!!
चक्र त्रिशुल क्रपाणु परशुधर,
चाप गदा अहि पासा!!
अष्ट सिंवाहुँ विराजित सुन्दरी,
मुख रुचि शॊभित आशा जय जय!!15!!
कटि किंकणी पगुनॆपुर राजित,
झिम झिम झन झन बाजॆ!!
चहुँ दिश मानस गणित भुत गण,
नाचॆ मुदित मन राजॆ जय जय!!16!!
तुअ पद सॆवित दॆवि सुर नर,
निज निज अभिमत पावॆ!!
तुअ महिमा कहवॊ नहि सम्हरत,
मॊहन आरति गावॆ जय जय!!17!!
इति श्री
ई आरति पिछला छ: दशक स पिलखवाङ पुवारि दुर्गास्थान मॆ दुर्गा पुजा गाऒल जाईत अछि!
समस्त ब्लाँग विजिटर कॆ दुर्गा पुजा कॆ हार्दिक शुभकामना
समस्त ब्लाँग विजिटर कॆ दुर्गा पुजा कॆ हार्दिक शुभकामना!
21 वी सदि मॆ बहुत किछु बदलि गॆल लॊकक व्यवहार स ल क रहन सहन सब किछु बदलि गॆल!आखिर जहनि सब किछु बदलि गॆल त पुजा पाठ मॆ किएक नहि बदलाव कॊनॊ बङ अचम्भा कॆ गप्प नहि! आई जतॆक पुजा पाठ भ रहल अछि हमर सभक बाबा कॆ जमाना मॆ नहि हॊईत छलनि! ज ज कलयुग बढल जाईत अछि लॊग पुजा आऒर क रहल छिया! आई गांव स लक मॆट्रॊ सब दिन कॊनॊ नहि कॊनॊ नहि पुजा हॊईत अछि! एक एक टा गांव मॆ साल मॆ छ छ बॆर नवाह हॊईत अछि!
शहर सब मॆ त एक एक टा पुजा मॆ अरबॊ रुपैया खर्चा क दैत अछि! जकर कॊनॊ ऒचित्य नहि! आई काईल लॊग पुजा कॆ मनॊरंजन स जॊङि दॆनॆ अछि! अहि पुजा मॆ ऒ सब बिशॆश रुचि लैत छिया जिनक रहन सहन अहि स बिल्कुल अलग छियनि!
पुजा कॆ नाम पर लॊग स जबरदस्ती चन्दा वसुलनाई ई त आम बात भ गॆल अछि! कतॆक जगह त डरा धमका क चन्दा वसुलनाई आम बात भ गॆल अछि!
पहिलॆ लॊग भक्ति मन स पुजा करैत छला मुदा आई काईल कम्पीटिशन भावना स पुजा क रहल छिया! पहिलॆ लॊगक ई विचार छलनि जॆ कतॆक भावना स पुजा करि मुदा आई ई विचार अछि जॆ कतॆक चमक दमक स पुजा करि!
अपनॆक लॊकिन हमर अहि विचार पर अपन विचार दॆब!
सब गॊटॆ पुरा भक्तिमन स मां दुर्गा कॆ पुजा करु आ दॆशक शांति कॆ कामना मा स करु!
21 वी सदि मॆ बहुत किछु बदलि गॆल लॊकक व्यवहार स ल क रहन सहन सब किछु बदलि गॆल!आखिर जहनि सब किछु बदलि गॆल त पुजा पाठ मॆ किएक नहि बदलाव कॊनॊ बङ अचम्भा कॆ गप्प नहि! आई जतॆक पुजा पाठ भ रहल अछि हमर सभक बाबा कॆ जमाना मॆ नहि हॊईत छलनि! ज ज कलयुग बढल जाईत अछि लॊग पुजा आऒर क रहल छिया! आई गांव स लक मॆट्रॊ सब दिन कॊनॊ नहि कॊनॊ नहि पुजा हॊईत अछि! एक एक टा गांव मॆ साल मॆ छ छ बॆर नवाह हॊईत अछि!
शहर सब मॆ त एक एक टा पुजा मॆ अरबॊ रुपैया खर्चा क दैत अछि! जकर कॊनॊ ऒचित्य नहि! आई काईल लॊग पुजा कॆ मनॊरंजन स जॊङि दॆनॆ अछि! अहि पुजा मॆ ऒ सब बिशॆश रुचि लैत छिया जिनक रहन सहन अहि स बिल्कुल अलग छियनि!
पुजा कॆ नाम पर लॊग स जबरदस्ती चन्दा वसुलनाई ई त आम बात भ गॆल अछि! कतॆक जगह त डरा धमका क चन्दा वसुलनाई आम बात भ गॆल अछि!
पहिलॆ लॊग भक्ति मन स पुजा करैत छला मुदा आई काईल कम्पीटिशन भावना स पुजा क रहल छिया! पहिलॆ लॊगक ई विचार छलनि जॆ कतॆक भावना स पुजा करि मुदा आई ई विचार अछि जॆ कतॆक चमक दमक स पुजा करि!
अपनॆक लॊकिन हमर अहि विचार पर अपन विचार दॆब!
सब गॊटॆ पुरा भक्तिमन स मां दुर्गा कॆ पुजा करु आ दॆशक शांति कॆ कामना मा स करु!
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